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मेरा चुनावी घोषणा-पत्र !

सियासत
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मेरा चुनावी घोषणा-पत्र !
प्रिय देशवासियों,
संशोधन, सुझाव व आलोचना आमंत्रित है, क्योंकि मैं मेरी, आपकी और हम सब की भारत भूमि को एक आधारभूत, मजबूत व दीर्घकालिक राजनीतिक, आर्थिक व संतुलित सामाजिक भविष्य के निर्माण कार्य को संपूर्ण करने के प्रपत्र की रूप-रेखा आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ. आइए और भारत के उज्जवल विकास के भागीदार बनें.
हर अमली कार्य शैली की योजना को तिमाही आंकलन प्रक्रिया से सत्यापित किया जाएगा
कार्यक्रम व विकास की प्राथमिकताओं की रूप-रेखा का खाका:
१. राजनैतिक शिक्षा को कला और विज्ञान के स्तर पर स्थापित करना, वर्तमान ढाँचे में व्याप्त परिवारवाद की व्याधि का उन्मूलन, रिटाइयर्मेंट आयु निर्धारण,, चुनाव लड़ने की योग्यता व अनुभव आधारित शर्तों का निर्धारण, राइट टू रीकॉल, राइट टू रिजेक्ट, विमन बिल आदि लागू करना.
२.संविधान के उन नियमों का पुन: निरीक्षण व समीक्षा जिनका इस्तेमाल सत्ता पक्ष व पार्टियाँ अपने निजी हितों व सरकार बचाने जैसे कार्यों के लिए पिछले कई वर्षों से करती रही हैं.
३..गवर्नर के ऑफीस की पुन:समीक्षा और एक ही व्यक्ति का एक से अधिक राज्यों के गवर्नर होने पर रोक, नई चयन प्रक्रिया और ब्रिटिश जमाने की दी गई बहुत सी पुरानी नीतियों और क़ानूनी प्रक्रियाओं में बदलाव.
४. चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और स्वायता की मजबूती, रैली आयोजन कार्यक्रमों की पूर्व अनुमति, भाषणों का सी सी टी वी रेकॉर्ड और संप्रदायिक दृष्टि से घातक भाषण देने वाले वक्ताओं का किसी भी राजनीतिक पार्टी और चुनाव में भाग लेने पर आजीवन प्रतिबंध क्योंकि देश और समाज हित में ऐसे बीमार मानसिकताओं के लिए जगह होना जोखिम है, पार्टी बदलने की सार्वजनिक घोषणा किए जाने से पहले चुनाव आयोग को लिखित आवदेन, आम चुनाव से २ साल पहले पार्टी बदलना प्रतिबंदित होगा ताकि गिरगिट व लाभ की राजनीति को रोका जा सके, रैली में किए गये खर्च का हिसाब और ऑडिट, राजनेताओं के लिए नया पोलिटिकल ड्रेस कोड, निजी वाहनों पर राजनैतिक पार्टी के नेताओ व झंडों के फोटोग्रॅफ लगाकर प्रशासन पर अनाधिकार दबाव बनाने के प्रयास पर नियंत्रण, रैली स्थल पर राजनेता के केवल सरकारी वाहन में आने की अनुमति ताकि बाहुबल और पैसे के रोब से ग़रीब जनता के मनोबल को तोड़ने के प्रयासों पर शिकंजा कसा जा सके, कोई भी राजनेता अपने राजनैतिक जीवन में दो से अधिक पार्टीयाँ नही बदल सके, नियमों को सख्ती से लागू करने के लिए चुनाव आयोग को एक अलग प्रशासनिक व क़ानूनी स्वायता प्रदान की जाएगी और दोषियों को राजनैतिक जीवन के अयोग्य माना जाएगा.
.
४. ज़िम्मेदार शिक्षण संस्थाओं, शोध इकाइयों, वैज्ञानिकों, व प्रतिभाशाली समाजसेवियों की निगरानी में शिक्षा, रोज़गार, भोजन, वातावरण और बुनियादी सुख सुविधाओं के विस्तार और संतुलन संबधी विचार निर्णायक होंगे.
५ .मंत्री व निर्णायक पद योग्यता, समयसीमा और अनुभव आधारित होंगे.
६. हर मंत्रालय के विकास कार्यक्रम का घोषणा पत्र चुनाव आयोग के शपथ पत्र पर सत्यापित होगा और दिए हुए लक्ष्य समयसीमा तक ६५% हाँसिल ना होने की स्तिथि में ज़िम्मेदार मंत्री व नौकरशाह दोनो ही लोकपाल के दायरे में होंगे.
८.प्रत्येक राज्य की वर्तमान जनसंख्या, खनिज, शिक्षा, आय, खेती व सरकारी व ग़ैरसरकारी नौकरियो का रिपोर्ट कार्ड हर ३ महीने में अख़बार, मीडीया व विभागीय प्रतियों के ज़रिए जनता के सामने रखा जायगा. स्थानीए शोध संस्थान स्थापित किए जाएँगे और रोज़गार व विकास के साकार अवसर पैदा करने की ज़िम्मेदारी दी जाएगी.
९. सरकारी विभागों, पूलिस प्रशासन में कार्यरत कर्मियों का सालाना प्रदर्शन आंकलन होगा और उच्च पदों की चयन प्रक्रिया में वरीयता को प्राथमिकता दी जाएगी. स्थानतारण समयसीमा तय होगी.
१०. सरकारी और ग़ैरसरकारी नौकरियों के असंतुलन को समाप्त किया जाएगा, विकास के नाम पर किसी एक शहर को विकसित न करके हर क्षेत्र के समान विकास के लिए उसकी जनसंख्या, खनिज व अन्य संसाधनो के अनुरूप लक्ष्याधारित रोज़गार, तकनीकी शिक्षा, सोलर उर्जा आधारित बिजली व उत्पादन संयत्र व निवेश कार्यक्रम और उपलब्ध अवसरों का विमोचन व विकास की योजना स्थानीय भागीदारी और निरीक्षण के तहत होगी जिससे पलायन और उसके कारण टूटते सामाजिक रिश्तों व बिखरती पारिवारिक वायवस्था और सामाजिक भाईचारे को सुरक्षित किया जा सके.
११. पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुँचाने वाले असामाजिक तत्वों, हिंसात्मक प्रदर्शनकारियों, ग़ैरक़ानूनी वस्तुओं का व्यापार आदि पर ज़ीरो टॉलरेन्स नीति लागू होगी.   .
११ शहर, गाओं, कॉलोनी, सड़क, और बस्तियों के नाम किसी व्यक्ति विशेष के नाम पर न होकर टाउन प्लॅनिंग के आधार पर फेज़, स्ट्रीट, आदि रखे जाएँगे क्योंकि इस तरह के नामकरण की प्रथा ने समाज में भाईचारे को बढ़ाने की बजाए नुकसान और भेद भाव का काम ज़्यादा किया है और राजनैतिक लाभ व वोट की राजनीति के लिए उपजाऊ स्थान दिया है.
१३. मेरा मत है की देश व धर्म के सभी महान वयक्तियों का उचित स्थान हमारे सभी शक्षिक पाठ्यक्रमों में है जिससे आने वाली पीढ़ी एक समान भाव से अपने देश के गौरवशाली इतिहास से परिचित हो.
मैं इस बात को भली भाँति जानता हूँ उपरोक्त विचार वर्तमान सरकारों को नागवार होंगे लेकिन कौन कहता है की आसमान में छेद हो नही सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों!
सुझाव आमंत्रित हैं!
धन्यवाद

प्रिय देशवासियों,

संशोधन, सुझाव व आलोचना आमंत्रित है, क्योंकि मैं मेरी, आपकी और हम सब की भारत भूमि को एक आधारभूत, मजबूत व दीर्घकालिक राजनीतिक, आर्थिक व संतुलित सामाजिक भविष्य के निर्माण कार्य को संपूर्ण करने के प्रपत्र की रूप-रेखा आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ. आइए और भारत के उज्जवल विकास के भागीदार बनें.

हर अमली कार्य शैली की योजना को तिमाही आंकलन प्रक्रिया से सत्यापित किया जाएगा !

कार्यक्रम व विकास की प्राथमिकताओं की रूप-रेखा का खाका

१. राजनैतिक शिक्षा को कला और विज्ञान के स्तर पर स्थापित करना, वर्तमान ढाँचे में व्याप्त परिवारवाद की व्याधि का उन्मूलन, रिटाइयर्मेंट आयु निर्धारण,, चुनाव लड़ने की योग्यता व अनुभव आधारित शर्तों का निर्धारण, राइट टू रीकॉल, राइट टू रिजेक्ट, विमन बिल आदि लागू करना.

२. संविधान के उन नियमों का पुन: निरीक्षण व समीक्षा जिनका इस्तेमाल सत्ता पक्ष व पार्टियाँ अपने निजी हितों व सरकार बचाने जैसे कार्यों के लिए पिछले कई वर्षों से करती रही हैं.

३. गवर्नर के ऑफीस की पुन:समीक्षा और एक ही व्यक्ति का एक से अधिक राज्यों के गवर्नर होने पर रोक, नई चयन प्रक्रिया और ब्रिटिश जमाने की दी गई बहुत सी पुरानी नीतियों और क़ानूनी प्रक्रियाओं में बदलाव.

४. चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और स्वायता की मजबूती, रैली आयोजन कार्यक्रमों की पूर्व अनुमति, भाषणों का सी सी टी वी रेकॉर्ड और संप्रदायिक दृष्टि से घातक भाषण देने वाले वक्ताओं का किसी भी राजनीतिक पार्टी और चुनाव में भाग लेने पर आजीवन प्रतिबंध क्योंकि देश और समाज हित में ऐसे बीमार मानसिकताओं के लिए जगह होना जोखिम है, पार्टी बदलने की सार्वजनिक घोषणा किए जाने से पहले चुनाव आयोग को लिखित आवदेन, आम चुनाव से २ साल पहले पार्टी बदलना प्रतिबंदित होगा ताकि गिरगिट व लाभ की राजनीति को रोका जा सके, रैली में किए गये खर्च का हिसाब और ऑडिट, राजनेताओं के लिए नया पोलिटिकल ड्रेस कोड, निजी वाहनों पर राजनैतिक पार्टी के नेताओ व झंडों के फोटोग्रॅफ लगाकर प्रशासन पर अनाधिकार दबाव बनाने के प्रयास पर नियंत्रण, रैली स्थल पर राजनेता के केवल सरकारी वाहन में आने की अनुमति ताकि बाहुबल और पैसे के रोब से ग़रीब जनता के मनोबल को तोड़ने के प्रयासों पर शिकंजा कसा जा सके, कोई भी राजनेता अपने राजनैतिक जीवन में दो से अधिक पार्टीयाँ नही बदल सके, नियमों को सख्ती से लागू करने के लिए चुनाव आयोग को एक अलग प्रशासनिक व क़ानूनी स्वायता प्रदान की जाएगी और दोषियों को राजनैतिक जीवन के अयोग्य माना जाएगा.

४. ज़िम्मेदार शिक्षण संस्थाओं, शोध इकाइयों, वैज्ञानिकों, व प्रतिभाशाली समाजसेवियों की निगरानी में शिक्षा, रोज़गार, भोजन, वातावरण और बुनियादी सुख सुविधाओं के विस्तार और संतुलन संबधी विचार निर्णायक होंगे.

५ . मंत्री व निर्णायक पद योग्यता, समयसीमा और अनुभव आधारित होंगे.

६. हर मंत्रालय के विकास कार्यक्रम का घोषणा पत्र चुनाव आयोग के शपथ पत्र पर सत्यापित होगा और दिए हुए लक्ष्य समयसीमा तक ६५% हाँसिल ना होने की स्तिथि में ज़िम्मेदार मंत्री व नौकरशाह दोनो ही लोकपाल के दायरे में होंगे.

८. प्रत्येक राज्य की वर्तमान जनसंख्या, खनिज, शिक्षा, आय, खेती व सरकारी व ग़ैरसरकारी नौकरियो का रिपोर्ट कार्ड हर ३ महीने में अख़बार, मीडीया व विभागीय प्रतियों के ज़रिए जनता के सामने रखा जायगा. स्थानीए शोध संस्थान स्थापित किए जाएँगे और रोज़गार व विकास के साकार अवसर पैदा करने की ज़िम्मेदारी दी जाएगी.

९. सरकारी विभागों, पूलिस प्रशासन में कार्यरत कर्मियों का सालाना प्रदर्शन आंकलन होगा और उच्च पदों की चयन प्रक्रिया में वरीयता को प्राथमिकता दी जाएगी. स्थानतारण समयसीमा तय होगी.

१०. सरकारी और ग़ैरसरकारी नौकरियों के असंतुलन को समाप्त किया जाएगा, विकास के नाम पर किसी एक शहर को विकसित न करके हर क्षेत्र के समान विकास के लिए उसकी जनसंख्या, खनिज व अन्य संसाधनो के अनुरूप लक्ष्याधारित रोज़गार, तकनीकी शिक्षा, सोलर उर्जा आधारित बिजली व उत्पादन संयत्र व निवेश कार्यक्रम और उपलब्ध अवसरों का विमोचन व विकास की योजना स्थानीय भागीदारी और निरीक्षण के तहत होगी जिससे पलायन और उसके कारण टूटते सामाजिक रिश्तों व बिखरती पारिवारिक वायवस्था और सामाजिक भाईचारे को सुरक्षित किया जा सके.

११. पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुँचाने वाले असामाजिक तत्वों, हिंसात्मक प्रदर्शनकारियों, ग़ैरक़ानूनी वस्तुओं का व्यापार आदि पर ज़ीरो टॉलरेन्स नीति लागू होगी.   .

११. शहर, गाओं, कॉलोनी, सड़क, और बस्तियों के नाम किसी व्यक्ति विशेष के नाम पर न होकर टाउन प्लॅनिंग के आधार पर फेज़, स्ट्रीट, आदि रखे जाएँगे क्योंकि इस तरह के नामकरण की प्रथा ने समाज में भाईचारे को बढ़ाने की बजाए नुकसान और भेद भाव का काम ज़्यादा किया है और राजनैतिक लाभ व वोट की राजनीति के लिए उपजाऊ स्थान दिया है.

१३.  मेरा मत है की देश व धर्म के सभी महान वयक्तियों का उचित स्थान हमारे सभी शक्षिक पाठ्यक्रमों में है जिससे आने वाली पीढ़ी एक समान भाव से अपने देश के गौरवशाली इतिहास से परिचित हो.

मैं इस बात को भली भाँति जानता हूँ उपरोक्त विचार वर्तमान सरकारों को नागवार होंगे लेकिन कौन कहता है की आसमान में छेद हो नही सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों!

सुझाव आमंत्रित हैं!

धन्यवाद

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